.....रेलगाड़ी का नाटक/////
चाय चाय चाय ........काफी काफी काफी .....
ब्रेड पकोड़ा गर्म , गर्म ब्रेड पकोड़े गरमा गर्म,
ऐ भैय्या ...अरे चाय वाले ,,,जल्दी से दो चाय ...
कितने की है ....साब खुले पैसे दीजिएगा ......
भागते हुए लोग , कुछ हाथे में बेग थामे हुए,
कुछ बच्चों के समेटे गोद में, हाथों से खींचते,
एक तरह की भगदड़, दो दिशाओं में होती सी,
एक सूचना....जनशताब्दी प्लेटफार्म ४ नंबर
अरे यार,....... ये कौन सा कुछ कोच नंबर है ?
गोविंदी अरे आगे है ...आगे वाला कोच होगा ....
कुछ अजब से लोग, कुछ अनजानी सी लगती,
पर पहचानी सी आदम शक्लों की भीड़,
यूँ जान पड़ता जैसे, सब निकल पड़े है,
किसी सफ़र की ओर, अपने शहर से दूर,
या फिर अपने शहर की ओर, उम्मीद से,
या फिर किसी निराशा को खुद में समेटे हुए,
कुछ चेहरे पर तनाव, कुछ पर मायूसी सी,
कुछ ख़ुशी से भरे लगते, तो कुछ शरारती से,
भैया ...यहाँ कोई बैठा हुआ है, या सीट खाली है,
वो पेशाब करने गया है, आता ही होगा अभी,
थैले थामे कुछ लोग , यही पूछताछ करते हुए,
शोरगुल है या फिर बसी हुई एक नयी दुनिया,
रेलवे स्टेशन पर रुकी हुई रेलगाड़ी के इर्दगिर्द,
बस यही नज़ारा, एक नए घटना क्रम सा दौड़ता,
तब कुछ पल को, समय कही ठहरने को होता,
और तभी गाड़ी का गर्म इंजन, एकाएक ताव में,
चिंघाड़ता हुआ,आगे बढ़ने को उतावला हो उठता,
गति आने लगती, उन डिब्बों में, बाहर हजूम में ,
अगले स्टेशन पर नए नाट्य मंचन की तैयारी में........
==मन-वकील
चाय चाय चाय ........काफी काफी काफी .....
ब्रेड पकोड़ा गर्म , गर्म ब्रेड पकोड़े गरमा गर्म,
ऐ भैय्या ...अरे चाय वाले ,,,जल्दी से दो चाय ...
कितने की है ....साब खुले पैसे दीजिएगा ......
भागते हुए लोग , कुछ हाथे में बेग थामे हुए,
कुछ बच्चों के समेटे गोद में, हाथों से खींचते,
एक तरह की भगदड़, दो दिशाओं में होती सी,
एक सूचना....जनशताब्दी प्लेटफार्म ४ नंबर
अरे यार,....... ये कौन सा कुछ कोच नंबर है ?
गोविंदी अरे आगे है ...आगे वाला कोच होगा ....
कुछ अजब से लोग, कुछ अनजानी सी लगती,
पर पहचानी सी आदम शक्लों की भीड़,
यूँ जान पड़ता जैसे, सब निकल पड़े है,
किसी सफ़र की ओर, अपने शहर से दूर,
या फिर अपने शहर की ओर, उम्मीद से,
या फिर किसी निराशा को खुद में समेटे हुए,
कुछ चेहरे पर तनाव, कुछ पर मायूसी सी,
कुछ ख़ुशी से भरे लगते, तो कुछ शरारती से,
भैया ...यहाँ कोई बैठा हुआ है, या सीट खाली है,
वो पेशाब करने गया है, आता ही होगा अभी,
थैले थामे कुछ लोग , यही पूछताछ करते हुए,
शोरगुल है या फिर बसी हुई एक नयी दुनिया,
रेलवे स्टेशन पर रुकी हुई रेलगाड़ी के इर्दगिर्द,
बस यही नज़ारा, एक नए घटना क्रम सा दौड़ता,
तब कुछ पल को, समय कही ठहरने को होता,
और तभी गाड़ी का गर्म इंजन, एकाएक ताव में,
चिंघाड़ता हुआ,आगे बढ़ने को उतावला हो उठता,
गति आने लगती, उन डिब्बों में, बाहर हजूम में ,
अगले स्टेशन पर नए नाट्य मंचन की तैयारी में........
==मन-वकील