Friday 8 February 2013

                 क्या डेमोक्रेसी है यहाँ ?

कोई जब भी मुझसे आकर पूछता,
अरे भाई , क्या इस देश में डेमोक्रेसी है ?
मैं तुरंत ही उत्तर देता, हाँ , है भाई है ,

जब राजनीती में गुंडे चोर सब मिलकर,
संसद में घुस अपनी सरकार बनाते, 
जब नेताओं के भाई बेटे योग्य नेता हो 
और चमचे बड़े पद पर आसीन हो जाते,
तो भाई मेरे, मत कहो कोई औटोक्रेसी है   
 अरे भाई , क्या इस देश में डेमोक्रेसी है ?

जब शिक्षा बिकने लगी अब यहाँ खुले आम ,
जैसी भी डिग्री चाहो, खरीदो बस देकर दाम, 
संसद विधानसभाओं में बिल पास हो हर शाम,
नई यूनिवर्सिटी खोल रोज़ टकराते अपने ज़ाम,
नई शिक्षा का विकास है, नहीं कोई हिप्पोक्रेसी है,
 अरे भाई , क्या इस देश में डेमोक्रेसी है ?

सरकारी जमीनों पर हो कब्ज़े, बने रोज़ धर्मस्थान,
पार्क की जमीन को भी खा जाए वो नया कब्रिस्तान,
नेता नाम पट्टिका चिपका, अलापे वहाँ अपनी तान,
बाल विकास कागज़ी बना,स्कूल का गम हुआ मैदान,
भारत विकास है ये मित्र, क्या हुआ जो तरीका देसी है,
 अरे भाई , क्या इस देश में डेमोक्रेसी है ?

बॉर्डर पर सैनिक चाहे कटवाए रोज़ ही अपने शीश,
या नक्सली भरे जवानों के शवों में बारूद और कीच,
मंत्री जी बस चेक थमा कर, बने देश के मुख आधीश,
विधवा रोती बच्चों के संग, मीडिया हुआ खबरी नीच,
शत्रु को दावत पर बुलाये पीएम, कैसी डिप्लोमेसी है 
 अरे भाई , क्या इस देश में डेमोक्रेसी है ?

--मन वकील