नन्हे नन्हे क़दमों से चलकर, नन्हे पुष्प यहाँ है आते,
शिक्षा की इस बगिया में आकर,दिव्य रंगों से सजाते,
चिड़ियों के कलरव सा शोर,खुशियों का देता नज़ारा,
हम नन्हों को भाये हमेशा हमारा एपीजे सबसे न्यारा,
अध्यापक हमारे गुणीजन, गुरु शिष्य की चले परिपाटी,
स्वस्थ बचपन को निखारे यहाँ खेल मैदान की माटी,
उड़ते कपोत सा ऊँचा बनेगा, इकदिन भविष्य हमारा
हम नन्हों को भाये हमेशा हमारा एपीजे सबसे न्यारा,
भवन नहीं ये केवल, है हमारे समाज का इक गुरुकुल,
चहुमुखी शिक्षा का केंद्र,देता ज्ञान, ह्रदय रहता प्रफुल्ल,
मेरे मित्रों का मिलना, हंसी ठिठोली का बहता फौव्वारा,
हम नन्हों को भाये हमेशा हमारा एपीजे सबसे न्यारा,
नतमस्तक होता मेरा मन उस दिव्य पुण्यात्मा के आगे,
जिनकी इस परिकल्पना से हम नन्हो के भाग है जागे,
नमन डॉ सत्या पाल जी को,जो देश का भविष्य संवारा,
हम नन्हों को भाये हमेशा हमारा एपीजे सबसे न्यारा,