सी लो जुबान अब कुछ बोलो नहीं भाई
अब मुल्क में ना प्रजातंत्र ना लोकशाई,
बँटे है क्षेत्र अब छोटी छोटी रियासतों में,
राज्य भी अब बन गये रजवाड़े घटों में,
प्रजा है , संग में है नेताओं की राजशाई,
सल्तनतें बना खाए जाए ये दूध मलाई,
सी लो जुबान अब कुछ बोलो नहीं भाई,
अब मुल्क में ना प्रजातंत्र ना लोकशाई,
मरे आम आदमी ना कोई गम ना शोक,
नेताजी के मरने से सड़कों पर लगे रोक,
जनता को मरने पर ना शमशान ना कब्र,
नेताजी के मरने पर चमचों का टूटे सब्र,
नेता के शोक जलूस में हडकंप मचे भाई,
जो खुली देखी दूकान, झट से आग लगाई
सी लो जुबान अब कुछ बोलो नहीं भाई,
अब मुल्क में ना प्रजातंत्र ना लोकशाई,
खेल मैदानों पर बनती नेता की समाधि
कौतुहल देखने आई भीड़ करती है बर्बादी
मत लिखो मत बोलो नहीं यहाँ आज़ादी,
जाओगे जेल बेसाख्ता,बढाने वहां आबादी,
क्यों लिखते,मत बोलो,आँखें मीच लो भाई,
गाँधीजी ने हमें तीन बंदरों की सीख पढ़ाई,
सी लो जुबान अब कुछ बोलो नहीं भाई,
अब मुल्क में ना प्रजातंत्र ना लोकशाई,
==मन वकील