सरेआम लुटी जाए यहाँ औरत की अस्मत,
कदम कदम पर शोषण, सहना बस किस्मत,
नारी उत्थान है नारा,फैली चहु ओर हवस है,
कैसा है भारत गणतंत्र ,कैसा गणतंत्र दिवस है,
अध्यापक होते यहाँ भर्ती, जो भरते है रिश्वत,
आरक्षण का जोर चले,योग्यता ना बनी हसरत,
नेताजी जी तिजोरी भरी, चेहरे पर उनके हवस है
कैसा है भारत गणतंत्र ,कैसा गणतंत्र दिवस है,
आतंकवाद फैला है कहीं दिखती ना कोई राह,
झूठी धर्म निरपेक्षता है, बस कुर्सी की है चाह ,
सच्चों पर चले लाठियां,चमचों को ताज़े-सबस है,
कैसा है भारत गणतंत्र ,कैसा गणतंत्र दिवस है,
महंगाई अब करे तरक्की, संग भुखमरी भी बढ़े,
गरीब को पेटभर रोटी नहीं, अम्बानी तरक्की करे,
जर्नलिस्ट भी है बिक गया, पदमश्री को जो हवस है,
कैसा है भारत गणतंत्र ,कैसा गणतंत्र दिवस है,
ठंडी रात में पहन कर वर्दी, वो देता है सीमा पर पहरा,
हाथ नहीं कांपते है उस वीर के, चाहे कोहरा हो गहरा,
मौत ले जाए संग, उसका परिवार भूखा और बेबस है
कैसा है भारत गणतंत्र ,कैसा गणतंत्र दिवस है,
परिवारवाद है राजनीति,भाई भतीजावाद पलता,
नेताजी तो कब के मर गये,वशंज का सिक्का चलता,
अब उल्लू है हर शाख पर, देश में बढ़ता जो तमस है
कैसा है भारत गणतंत्र ,कैसा गणतंत्र दिवस है,