गूंगा अब बेशर्म बन गया है।
कई साल पहले, एक बड़े देश के सिंहासन पर,
बैठा दिया नेताओं की जुन्डली ने ऐसे मिलकर,
इक गूंगे को, कुछ जुगत भिड़ा, कुछ सोचकर,
जो बस मुहँ ना खोले, चुप रहे वो सब देखकर,
गूंगे के होते घोटालों का ऐसा अनोखा दौर चला,
देश में यहाँ वहाँ बस भ्रष्टाचार का ही जोर चला,
किसी मद में,कही भी,हर राह पर नेता ही फला,
सरकारी खातों की छाया में,नेता का ही पेट पला,
कभी कोयला खाया, कभी खेलों के नाम पर खाया,
कहीं हेलिकोप्टर मंगाए, कही छाई टूजी की माया,
मनरेगा की लूटी फसल,जो नेताजी ने खूब कमाया,
भारत निर्माण के नाम पर, देश में अँधेरा ही फैलाया,
सीमा पर जवानों के सिर कटे,खून से भारत सन गया,
नारी पर हुई हिंसा,आक्रोश प्रदर्शन में सर्व जन गया,
आ बैठा चीन भारत में, अब लद्दाख में तम्बू तन गया,
और वो जो गूंगा है नेता गद्दी पर, अब बेशर्म बन गया ............
==मन वकील