हाँ , मैंने देखा है ,इस देश के हर पुलिस थाने में
सत्यमेव जयते,एक गुमनाम नारा सा बने हुए,
थानेदार की कुर्सी के पीठ वाली दिवार पर टंगे,
गांधी जी की उस पुरानी तस्वीर के नीचे,टंगे हुए,
जिस पर उस तस्वीर की धूल की परते बिछी हुई,
हाँ , मैंने देखा है ,इस देश के हर पुलिस थाने में,
जहाँ अब सत्य की भाषा, केवल गाँधी जी ही है,
चाहे नीली तस्वीरों पर छपे हुए या हरी या लाल,
गांधी जी की मुस्कराती इन तस्वीरों में छुपे हुए,
मैंने उस सत्य को क्रंदन करते, देखा तडपते हुए,
हाँ , मैंने देखा है ,इस देश के हर पुलिस थाने में
जहाँ बलात्कार की त्रासदी से अधिक झेलती हुई,
वो बेबस नारी,सत्य के नंगेपन से बचने को रोती,
और सामने वो खाकी वर्दी वाले,खींसे निपोरते हुए,
कागज़ में बयान नहीं,कोई अश्लील कथा संजोतें हुए,
हाँ , मैंने देखा है ,इस देश के हर पुलिस थाने में,
जहाँ रात ढलने पर,किसी मयखाने की महक होती,
जो अकसर हर वर्दीधारी के कमरे से निकल आती,
जो कभी बंद थी किन्ही नशीली बोतलों में छुपी हुई,
अब उन बोतलों के खाली होने पर,खाकी पर गिरी हुई,
हाँ , मैंने देखा है ,इस देश के हर पुलिस थाने में ,
जहाँ अक्सर फैसलों की आड़ में, सत्य का गला काटते,
और सबूतों की मिट्टी उड़ाते,नए झूठें गवाहों को सजाते,
पैसेवालों को लाक अप से बाहर बैठ, मुर्गों की दवात उड़ाते,
और गरीब की औरत को अपने आंचल से, अपनी देह छुपाते,
हाँ , मैंने देखा है ,इस देश के हर पुलिस थाने में
किसी केस में पकड़ी गयी गाड़ी से, चोरी से पेट्रोल चुराते हुए,
बरामद नयी कार के चंद हिस्सों को निकाल कर ले जाते हुए,
या फिर बरामद मोटर साइकिल पर सिपाही को कहीं जाते हुए,
या फिर ठीक ठाक गाड़ी को तोड़कर,एक्सीडेंटशुदा बनाते हुए,
हाँ , मैंने देखा है ,इस देश के हर पुलिस थाने में ,
सत्यमेव जयते को कोने में बैठ, रोते हुए, तिल तिल मरते हुए
=========मन वकील