सतरंगी रंगों में सजकर देखो फाल्गुन आया,
उड़े गगन में अबीर गुलाल, ऋतु राज भौराया,
सरसर मारे पिचकारी, मेरो प्यारो नन्द गोपाल,
आई होली रे,अरे आई होली रे,कैसो मस्त धमाल,
मोरपंख धरे सीस पर,कन्हाई मेरो गहरो कूद लगावे,
जिस तिस देखे वो गोपिका,वाको भरभर रंग लगावे,
नन्द के लाला करे रास,रंगआनंद चहु दिश ऐसो छाया
सतरंगी रंगों में सजकर देखो फाल्गुन आया,
इत उत दौड़े बाल गोपाल, हाथों में भर भर रंग गुलाल,
सांवरी छबि मन मोहे रही,प्यारो लगे मोहे जसोदा लाल,
माखन भयो गुलाबी अबहु, सुंगंधि देत रहो चन्दन सौ कैसी,
गैयाँ भी सजे रंग में, अरे गैया होय गुलाबी लगो कामधेनु जैसी,
होरी खेलत गोकुल को प्यारो नटराज, देखो कैसो खेल दिखाया,
सतरंगी रंगों में सजकर देखो फाल्गुन आया,
छिप छिप रही सबहु गोपियाँ,रंग ना देहो कोहू और डार,
मन में बसे श्याम,अबहु मोहे केवल आन रँगे नन्द कुमार,
अरे करे प्रतीक्षा सबरी अँखियाँ, निहारे अपने हरि की राह,
कब आओगे श्याम मोहु रंगने, पिया मिलन मोहे ऐसो चाह,
गोप कुमारी होए रही अधीर, मधुमास ज्यो फाल्गुन में आया,
सतरंगी रंगों में सजकर देखो फाल्गुन आया,
उड़े गगन में अबीर गुलाल, ऋतु राज भौराया,
=========मन वकील